Saturday 5 October 2013

मातृदेवोभव

नारी  ऐसी गाय  है जो दूध  तो देती है मगर
 वंश -  बढाती  है  हमें  याद  रखना  चाहिये ।
पुरुष  के  साथ  वह   हल   में  जुती  हुई   है
 तिरस्कार -  कोडे  से  उसे  बचाना  चाहिये ।

अपनी मॉं-पिता का घर छोड के जो आ गई है
 ऐसी  बहू - रानी  का सम्मान होना चाहिये ।
लक्ष्मीबाई किरण बेदी जैसी बेटी पाना हो तो
बहू को सदा सिर-ऑंखों पर बिठाना चाहिये ।

मातृदेवो   भव   कह  श्रुति   समझा  रही   है
नारी  ही  तो  देवी  है  इसे  समझना चाहिये ।
लोक - परलोक  दोनों  उसी  के  चरण  में  है
हमें फिर इधर -  उधर नहीं भटकना चाहिये ।

शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ. ग. ]

  1.  

7 comments:

  1. परिवार को धारण करने वाली और उसे स्थिरता देने वाली को यथोचित सम्मान मिले।

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  2. नारी को सम्मान मिलना ही चाहिए !

    RECENT POST : पाँच दोहे,

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
    वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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  4. धन्यवाद , दर्शन । आभार आपका ।

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  5. सारा जीवन किया समर्पित
    परमार्थ में नारी ही ने ,
    विधि ने ऐसा धीरज लिखा
    केवल भाग्य तुम्हारे में ही
    उठो चुनौती लेकर बेटी , शक्तिमयी सी तुम्ही दिखोगी !

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  6. सुन्दर भाव, अच्छी अभिव्यक्ति

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  7. कृष्ण की योगमाया है राधा रानी रुपी आधी दुनिया।

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