Friday 15 May 2015

अमर रहे यह हिन्दुस्तान

अरुणाचल में  एक  लडकी है पर वह देख नहीं सकती है
पर उसको सुर मिला  है सुन्दर  वह हरदम गाती रहती है ।

बारह - बरस की है वह लडकी नाम मिला है उसको माया
मन में गीत स्वयं  रचती  है मधुर - विरासत उसने पाया ।

माया की मॉ सुन्दर - गाती है उसको मिला वही - उपहार
अरुणाचल में  सब कुछ अच्छा है मगर -पडोसी है बेकार ।

आए - दिन  दुन्दुभि - बजाते  वे  भारत  में  घुस आते  है
सौ -बार दिखाया सरहद उनको पर वे समझ नहीं पाते हैं ।

पन्द्रह - अगस्त के मौके पर अरुणाचल जश्न  मनाता  है
यदि प्रधान अरुणाचल जाता तो दुखी पडोसी हो जाता है ।

इस अवसर पर माया को भी कहनी  है  कुछ मन की बात
सुर  में पिरो - दिया  शब्दों  को ' बोलो कितनी है औकात ।'

घुसे - चले आते  हो  हरदम  यह  कैसी  है  रण  की  नीत
हम तो  कभी नहीं घुसते हैं हमने तो सदा  निभाई - प्रीत ।

दुनियॉ - भर में पटा - हुआ है बस  तेरे  ही  घर  का  माल
फिर  भी  कैसी  दरिद्रता  है  सबसे बडा  है  यही - सवाल ।

हम - उद्यम करते  हैं घर में  नहीं  झॉकते किसी का  घर
तुम  भी अपनी - सीमा  में ही सदा सिमट कर रहो मगर ।

रक्त - पात  हम  नहीं  चाहते मगर नहीं हैं हम - क़मज़ोर
सज्जनता और  कायरता  में अन्तर  होता  है  पर - घोर ।

यह वसुधा कुटुम्ब है मेरा ऋषि - मुनियों की हम संतान
इम्तिहान न  लो  धीरज  का जाग - गया  है हिन्दुस्तान ।'

यह उद् बोधन  गीत अद्भुत था मंत्र मुग्ध सुन रहे थे लोग
करतल ध्वनि तब गूँज उठी है यह है माया का सुर- योग ।

मन्त्री  जी  थे  वहॉ उपस्थित  मिला  है माया को उपहार
पॉच - लाख  का  चेक  मिला  है यह है माया पर उपकार ।

माया को अब पंख - लग गए बढा है खुद पर  ही विश्वास
'मैं अब कुछ भी कर सकती  हूँ मैं भी बन सकती हूँ खास ।'

देश - प्रेम  बस  गया है  मन में ऐसा है मेरा देश - महान
सब कुछ इसके लिए समर्पित अमर रहे यह हिन्दुस्तान ।

 

2 comments:

  1. वाह..देशभक्ति का जज्बा जगाती सुंदर रचना..

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  2. सलाम है इस ज़ज्बे को..जिस देश में माया जैसी बेटियाँ हों उस देश की तरफ कौन आँख उठा सकता है..बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना...

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